जहां एक ओर नौ दिनों के पर्व पर माँ दुर्गे के नौ रूपों का उत्सव पूरी उमंग के साथ मनाया जाता है, वहीँ दूसरी ओर कन्याओं की नृशंस हत्या के प्रति समाज में कोई आक्रोश नहीं है। कन्याओं का देवी के रूप में पूजन मात्र नौ दिनों तक ही सीमित रहता है और शेष वर्ष में कन्या भ्रूण हत्या जैसा जघन्य अपराध जारी रहता है।समाज की इस अनुचित अवस्था के समाधान हेतु श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में संचालित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का लिंग समानता कार्यक्रम –संतुलन, जनमानस को“कन्या पूजन के देश में कन्या भ्रूणहत्या क्यों” जैसे विषय पर आत्मनीरिक्षण कराने में कार्यरत है। और, इसी श्रृंखला में संतुलन द्वारा 29 सितम्बर से 7 अक्टूबर, 2019 तक नौ दिवसीय जागरूकता अभियान का विशेष रूप से देश के उत्तरी क्षेत्र में आयोजन किया गया। इस अभियान के अंतर्गत मंदिरों व् मॉलों के बाहर सूचना काउंटरों एवं प्रदर्शनियों को लगाया गया, जिसमें असंख्य लोगों को जागरूक किया गया।
भारत, जो देवी की भूमि के लिए व्यापक रूप से पसिद्ध है, अपने विषम लिंग अनुपात के लिए बदनाम भी है। इस विरोधाभास स्थिति को ख़त्म करने के लिए ज़रूरत है कि देवी के पूजन और नारी जीवन के महत्त्व में समानता लायी जाए। संतुलन द्वारा उक्त अभियान में कन्याओं के विरुद्ध मिथकों और भ्रांतियों को दूर करते पोस्टर, लिंग असंतुलन के कारण अपराध की दर को उजागर करते तथ्य और जानकारी, रूडीवादिता का खंडन करते पम्फलेटों का व्यापक वितरण, इत्यादि गतिविधियाँ सम्मिलित रहीं। कार्यक्रमों के अंतर्गत, संतुलन के अभियानों, उपलब्धियों, लाभार्थियों और प्रशंसापत्रों पर आधारित एक डोक्युमेंट्री भी चलायी गयी, जो सभी के लिए मुख्य आकर्षण रही। इसके आलावा नुक्कड़ नाटक और कन्या रैलियां भी अभियान का भाग रहीं। उच्च संख्या के आगंतुकों तक पहुचकर संतुलन कार्यकर्ताओं ने उन्हें लिंग समानता व् लैंगिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षित किया। अभियान का एक सत्र दिव्य आरती भी रही जिसके द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ और जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
महिलाएं आज सफल होने के लिए सभी बाधाओं पर विजय पा रही हैं, फिर भी अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत हैं। 1000 पुरुषों के मुकाबले 930 महिलाओं का विषम लिंग अनुपात केवल एक संख्या नहीं है, बल्कि समाज में लिंग आधारित अपराधों का प्रमुख कारण है। संतुलन का मानना है कि केवल जागरूकता पहल, कानून या परामर्श इस समस्या का समाधान व् समाज में बदलाव लाने के लिए पर्याप्त नहीं। इसिलिय संतुलन आध्यात्मिक सशक्तिकरण के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ रहा है, जिसके द्वारा ही मनुष्य की मानसिकता में बदलाव लाया जा सकता है और उसकी निष्क्रिय चेतना जाग्रत की जा सकती है। अंततः समाज में लिंग समानता स्थापित की जा सकती है।