श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की असीम अनुकंपा से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा चंडीगढ़, यू.टी. में आध्यात्मिक श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गया। 30 नवंबर से 4 दिसम्बर 2022 तक आयोजित पाँच दिवसीय कथा का वाचन साध्वी गरिमा भारती जी द्वारा किया गया। उपस्थित असंख्य श्रोताओं ने साध्वी जी द्वारा प्रस्तुत भगवान श्री कृष्ण के विवेकपूर्ण विवरण को विस्तारपूर्ण श्रवण किया।
साध्वी जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जीवन इस तथ्य को प्रमाणित करता है कि परमात्मा में आस्था कभी व्यर्थ नहीं जाती। दैत्य राज कसं के अत्याचारों से पीड़ित होकर ऋषि, मुनि व मथुरा के वासियों ने ईश्वर के समक्ष प्रार्थना की। अंततः भगवान ने धरा पर अवतरित होकर कसं का वध किया। यह कोई संयोग नहीं अपितु भक्तों की प्रार्थनाओं का प्रतिफल ही था।
वहीँ, भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में अर्जुन को दुविधा मुक्त किया। अर्जुन कोई साधारण व्यक्ति नहीं अपितु सर्वोच्च धनुर्धर था। फिर भी अपने स्वजनों के प्रति मोहासक्त हो वह युद्धभूमि में निस्तब्ध खड़ा रहा। ऐसे समय में उसने भगवान श्री कृष्ण से सहायता मांगी। अर्जुन की मनःस्थिति को देखते हुए भगवान श्री कृष्ण ने उसे ब्रह्मज्ञान का दिव्य ज्ञान प्रदान किया। ज्ञान से सशक्त अर्जुन ने न केवल युद्ध लड़ा बल्कि विजयश्री को भी प्राप्त किया।
परन्तु, यहाँ पर एक बात और मनन करने योग्य है कि क्या ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को जाने बिना उस पर अपनी आस्था को दृढ़ रखना संभव है? हम यदि स्वयं का आकलन करें तो पाएंगे कि इच्छा पूर्ति होने पर हम ईश्वर का धन्यवाद करते हैं। परंतु, तनिक सी देरी या मन वांछित फल न मिलने पर हम ईश्वर के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा देते हैं। इसीलिए, ईश्वर को जान लेना ही आस्था को दृढ़ बनाने का एकमात्र उपाय है। और पूर्ण सतगुरु से ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने पर ही ईश्वर को जाना जा सकता है, अर्थात उसका दर्शन किया जा सकता है। ब्रह्मज्ञान एक प्राचीन भारतीय विधि है जिसे ज्ञानी महापुरुषों ने आज तक सजीव रखा है। इस विधि द्वारा गुरु हमारे तृतीय नेत्र को खोल कर हमारी आत्मा का सर्वशक्तिमान परम चेतना के साथ संबंध स्थापित कर देते हैं। ईश्वर का यह ज्ञान प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हमारे विश्वास को सुदृढ़ बनाए रखने में सहायक सिद्ध होता है।
कथा के अंतिम दिवस में साध्वी जी ने उपस्थित सभी श्रोताओं को ईश्वरीय ज्ञान, ब्रह्मज्ञान, को प्राप्त कर अपनी आस्था को सुदृढ़ बनाने का आग्रह किया। उन्होंने समझाया कि ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के लिए अविलंब एक पूर्ण सतगुरु की खोज शुरू करें। डीजेजेएस ने सभी जिज्ञासुओं को समय के पूर्ण सतगुरु, श्री आशुतोष महाराज जी, से ज्ञान प्राप्त करने का खुला निमंत्रण दिया। डीजेजेएस के ईश्वर प्राप्ति द्वारा विश्व में शांति स्थापित करने के प्रयासों को उपस्थित सभी श्रोताओं ने सराहा।